Family पेंशन के लिए Divorced बेटियों की Eligibility : स्पष्टीकरण और संशोधन

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भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने तलाकशुदा बेटियों की परिवार पेंशन के लिए पात्रता को लेकर महत्वपूर्ण प्रावधान किए हैं। इन स्पष्टीकरणों का उद्देश्य मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी के आश्रित परिवार के सदस्यों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।

पृष्ठभूमि और कानूनी ढांचा

तलाकशुदा या विधवा बेटियों को 25 वर्ष की आयु के बाद परिवार पेंशन प्रदान करने का प्रावधान 30 अगस्त 2004 के कार्यालय ज्ञापन (OM) के माध्यम से किया गया था। इसे केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के उप-नियम 54(6) के खंड (iii) में शामिल किया गया था।

केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के नियम 54(8) के अनुसार, परिवार पेंशन सबसे पहले मृत सरकारी कर्मचारी के जीवनसाथी को दी जाती है। उनकी मृत्यु या पुनर्विवाह के बाद, यह पात्रता 25 वर्ष से कम उम्र के अविवाहित बच्चों को मिलती है, फिर जीवनभर के लिए विकलांग बच्चों को, और उसके बाद 25 वर्ष से अधिक आयु की अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा बेटियों को मिलती है।

तलाकशुदा बेटियों के लिए परिवार पेंशन पर स्पष्टीकरण

11 सितंबर 2013 को जारी एक स्पष्टीकरण में सरकार ने कहा था कि परिवार पेंशन मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी के आश्रितों के लिए होती है। एक आश्रित बच्चा वही माना जाएगा जिसकी आय न्यूनतम परिवार पेंशन राशि और उस पर देय महंगाई राहत से कम हो।

परिवार पेंशन के लिए पात्र होने के लिए तलाकशुदा बेटी को:

  • माता-पिता की मृत्यु या उनकी पात्रता समाप्त होने के समय सभी पात्रता शर्तों को पूरा करना होगा।
  • आर्थिक रूप से अपने माता-पिता पर निर्भर होना चाहिए।
  • किसी सक्षम न्यायालय द्वारा तलाक की डिक्री अपने माता-पिता में से कम से कम एक के जीवनकाल में प्राप्त करनी होगी।

विलंबित तलाक प्रक्रिया से जुड़े संशोधन

सरकार ने यह समझा कि तलाक की कानूनी प्रक्रिया अक्सर कई वर्षों तक चलती है। कई मामलों में, बेटी ने अपने माता-पिता के जीवनकाल में तलाक की कार्यवाही शुरू की, लेकिन तलाक की अंतिम डिक्री उनके निधन के बाद ही मिली, जिससे वह परिवार पेंशन के लिए अयोग्य हो गई।

इस समस्या को हल करने के लिए, व्यय विभाग के साथ विचार-विमर्श के बाद एक नया निर्णय लिया गया:

  • यदि तलाक की कार्यवाही किसी सक्षम न्यायालय में सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी (या उनके जीवनसाथी) के जीवनकाल में दायर की गई थी, लेकिन अंतिम तलाक उनके निधन के बाद हुआ, तो बेटी परिवार पेंशन के लिए पात्र होगी।
  • पेंशन की शुरुआत तलाक की डिक्री की तारीख से होगी, बशर्ते कि वह केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के नियम 54 की अन्य सभी पात्रता शर्तों को पूरा करती हो।

लागू करने की प्रक्रिया और अधिसूचना

इस संशोधित नीति को भारत सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, महालेखा नियंत्रक और विभिन्न पेंशनभोगी संघों को सूचित कर दिया गया है। यह स्पष्टीकरण यह सुनिश्चित करने के लिए है कि पात्र तलाकशुदा बेटियों को कानूनी देरी के बावजूद वित्तीय सहायता मिल सके।

निष्कर्ष

यह संशोधन मृत सरकारी कर्मचारियों की तलाकशुदा बेटियों के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है। तलाक प्रक्रिया में होने वाली देरी के कारण उत्पन्न जटिलताओं को दूर करके, सरकार ने उन लोगों को बहुत जरूरी राहत प्रदान की है जो अपने जीवनयापन के लिए परिवार पेंशन पर निर्भर हैं। यह निर्णय सामाजिक सुरक्षा और आश्रित परिवार के सदस्यों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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